Matric Hindi Vvi Objective subjective questions and answers
1. नलिन विलोचन शर्मा का जन्म ….. ..ई० में हुआ।
(A) 1914 (B) 1915
(C) 1916. (D) 1917
2. नलिन विलोचन शर्मा का जन्म कहाँ हुआ था?
(A) सिमरिया (B) बलिया
(C) उन्नाव (D) पटना
3. गिरधरलाल का बेटा है—
(A) खोखा (B) काशू
(C) मदन (D) आलो
4. खोखा किस कहानी का पात्र है?
(A) विष के दांत (B) बहादुर
(C) मछली (D) नाखून क्यों बढ़ते
5. ‘मदन’ किसका बेटा है?
(A) सेन साहब का (B) गिरधर लाल का
(C) शोफर का (D) अखबारनवीस का
6. सेन साहब की कितनी लड़कियाँ थीं?
(A) दो (B) तीन
(C) चार (D) पाँच
7. सीमा, रजनी, आलो, शेफाली, आरती पाँचों किनकी बेटियाँ है?
(A) गिरधरलाल की (B) शोफर की
(C) सेन साहब की (D) पत्रकार महोदय की
8. नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा है—
(A) मदन (B) खोखा
(C) रजनी। (D) शेफाली
9. किसके अनुसार सेनों ने सिद्धांतों को भी बदल लिया था?
(A) बेटियों के अनुसार (B) खोखा के अनुसार
(C) मदन के अनुसार (D) गिरधर के अनुसार
10. खोखा के दाँत किसने तोड़े ?
(A)दन ने (B) मदन के
(C) सेन साहब ने (D) गिरधर ने
11. सेन साहब की कार की कीमत है —
(A) साढ़े सात हजार (B) साढ़े आठ हजार
(C) साढ़े नौ हजार (D) साढ़े सात लाख
12. सेन साहब की आँखों का तारा है-
(A) कार (B) खोखा
(D) उपर्युक्त सभी (C) खोखी
13. ‘मोटर को कोई खतरा हो सकता है, तो से’।
(A) खोखा (B) मदन
(C) सीमा (D) शेफाली
14. लड़कियाँ तो पाँचों बड़ी सुशील हैं, पाँच-पाँच ठहरी और सो भी लड़कियाँ, तहजीव और तमीज की तो जीती-जागती मूरत ही हैं।
उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ का है?
(A) नाखून क्यों बढ़ते हैं (B) नौबतखाने में इवादत
(C) विष के दाँत। (D) परंपरा का मूल्यांकन
15. सेन साहब की नई मोटरकार किस रंग की थी?
(A) सफेद (B) काली
(C) नीली (D) लाल
16. महल और झोपड़ीवालों की लड़ाई में अक्सर महलवाले ही जीतते हैं। इस गद्यांश के लेखक कौन हैं?
(A) महात्मा गाँधी (B) अमरकांत
(C) नलिन विलोचन शर्मा। (D) अशोक वाजपेयी
17. ‘विष के दाँत’ कहानी किस वर्ग के अनेक अंतरविरोधों को उजागर करती है?
(A) उच्च वर्ग (B) मध्य वर्ग
(C) निम्न वर्ग (D) शोषित वर्ग
18. सेन साहब की नई मोटरकार की पिछला बत्ती का लाल शीशा किसने चकनाचूर किया था?
(A) मदन (B) काशू
(C) शोफर (D) इनमें से कोई नहीं
19. खोखा जीवन के नियम का अपवाद था और यह अस्वाभाविक नहीं था कि वह घर के नियमों का भी अपवाद हो। यह गद्यांश किस पाठ का है?
(A) विष के दाँत (B) शिक्षा और संस्कृति
(C) बहादुर (D) मछली
20. खोखा के पिता हैं
(A) गिरधरलाल (B) सेन साहब
(C) पत्रकार (D)अखवारनवीस
21. किसके लिए घर में अलग नियम थे, दूसरी तरह की शिक्षा थी?
(A) खोखा के लिए (B) मदन के लिए
(C) बेटियों के लिए (D) इनमें से कोई नहीं
22. “मैं चाहता हूँ कि वह जेंटिल मैन जरूर बने और जो कुछ बने, उसका काम है, उसे पूरी आजादी रहेगी।” अपने बच्चे के विषय में ऐसा ख्याल किनका है
(A) सेन साहब का (B) पत्रकार महोदय का
(C) गिरधर लाल का (D) अखबार नवीस का
23. “ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुण्डे, चोर, डाकू बनते हैं!” यह पंक्ति कहानी के किस पात्र ने कही है?
(A) सेन साहब की धर्मपत्नी (B) गिरधर
(C) सेन साहब (D) शोफर
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24. गिरधरलाल, सेन साहब की फैक्टरी में क्या था?
(A) किरानी (B) ड्राइवर
(C) एकाउन्टेन्ट (D) इनमें से कोई नहीं
25. हिन्दी कविता में प्रपद्यवाद के प्रवर्तक कौन हैं?
(A) मैक्समूलर (B) नलिन विलोचन शर्मा
(C) अशोक वाजपेयी (D) अमरकांत
26. किनकी लड़कियाँ तहजीव और तमीज की जीती-जागती मूरत है?
(A) गिरधरलाल की (B) डॉक्टर साहब की
(C) सेन साहब की (D) इंजीनियर साहब की
27. सीमा, रजनी, आलो, शेफाली, आरती–पाँचों किनकी बहने थीं?
(A) मदन की (B) खोखा की
(C) लेखक की (D) सेन साहब की
28. झोपड़ी और महल की लड़ाई में अक्सर कौन जीतते हैं?
(A) महल वाले (B) झोपड़ी वाले
(C) दोनों (D) कोई नहीं
29. कौन-सी कहानी मध्यवर्ग के अंतर्विरोधों को उजागर करती है?
(A) श्रम विभाजन और जाति प्रथा (B) नाखून क्यों बढ़ते हैं
(C) विष के दांत (D) नागरी लिपि
30. दर्शन और संस्कृत के प्रख्यात विद्वान महामहोपाध्याय पं० रामावतार शर्मा के ज्येष्ठ पुत्र थे
(A) भीमराव अंबेदकर (B) नलिन विलोचन शर्मा
(C) हजारी प्रसाद द्विवेदी। (D) यतींद्र मिश्र
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31. मध्यवर्ग के अनेक अंतर्विरोधों को उजागर करने वाली कहानी है…
(A) श्रम विभाजन और जाति प्रथा (B) भारत से हम क्या सीखे
(C) नागरी लिपि (D) विष के दांत
32. विष के दांत कहानी का प्रमुख पात्र है
(A) गिरधर (B) सेन साहब
(C) खोखा। (D) सेन साहब की पत्नी
33. काशू और मदन की लड़ाई के संबंध में लेखक क्या कहता है?
(A) हड्डी और मांस की लड़ाई
(B) बँगले के पिल्ले और गली के कुत्ते की लड़ाई।
(C) उपर्युक्त दोनों
(D) इनमें से कोई नहीं
34. खोखा के दाँत तोड़ने के बाद गिरधर लाल मदन को क्या करता है?
(A) गुस्सा करता है
(B) पिटाई करता है
(C) लपककर मदन को हाथों से उठा लेता है,
(D) घर से भगा देता है
35. सेन साहब के दूर के रिश्तेदार थे
(A) गिरधर लाल (B) मुकर्जी साहब
(C) शोफर (D) अखबारनवीस
36. नलिन विलोचन शर्मा की स्कूल की पढ़ाई कहाँ से हुई थी ?
(A) पटना कॉलेजिएट स्कूल (B) पटना हाइस्कूल
(C) बी० एन० कॉलेजिएट स्कूल (D) टी० के० घोष हाइ स्कूल
37. नलिन विलोचन शर्मा प्राध्यापक रहे हैं
(A) हर प्रसाद दास जैन कॉलेज आरा के
(B) राँची विश्वविद्यालय के
(C) पटना विश्वविद्यालय के
(D) उपर्युक्त सभी के
38. काली चमकती हुई स्ट्रीमल इंड नई मोटर कार थी
(A) इंजीनियर साहब की
(B) अखबार नवीस की
(C) पत्रकार महोदय की
(D) सेन साहब की
39. मदन खोखा के कितने दाँत तोड़ डाले ?
(A) एक (B) दो
(C) तीन (D) चार
40. ‘विष के दाँत’ कहानी में मोटरकार किसकी थी?
(A) गिरधर की (B) सेन साहब की
(C) मदन की (D) शोफर की
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प्रश्न:-
1. लेखक की विडंबना की बात करती है!
2. लेखक ने पाठ में किन मुख पर लोग से जाति प्रथा को एक हानिकारक प्रथा के रूप में दिखाया है।
3. जातिवाद के पक्ष में दिए गए तर्कों पर लेखक की आपत्तियां क्या है।
उत्तर:-
(I) लेखक भीमराव अंबेदकर (1891-1956) ने ‘श्रम विभाजन और जाति प्रथा’ शीर्षक निबंध में श्रम विभाजन के नाम जीवित रखी गयी जाति प्रथा की निंदा की है। उन्होंने लिखा है कि यह विडम्बना की ही बात है कि इस युग भी ‘जातिवाद’ के पोषकों की कमी नहीं है। समर्थन का एक आधार यह कहा जाता में है कि आधुनिक सभ्य समाज ‘कार्य कुशलता’ के लिए श्रम विभाजन को आवश्यक मानता है और चूँकि जाति प्रथा भी श्रम विभाजन का ही दूसरा रूप है इसलिए इसमें कोई बुराई नहीं है।
इस तर्क के संबंध में पहली बात तो यही आपत्तिजनक है कि जाति प्रथा श्रम विभाजन के साथ-साथ श्रमिक विभाजन का भी रूप लिए हुए प्रथा ऊँच-नीच का विभेद भी करती है। यह निंदनीय है। है। यह
(ii) लेखक, चिंतक एवं संविधान निर्माता भीमराव अंबेदकर ने ‘श्रम विभाजन और जाति प्रथा’ शीर्षक निबंध में जाति प्रथा को हानिकारक प्रथा बताया है। जाति प्रथा श्रमिकों को ऊँच और नीच में बाँट देती है। जाति प्रथा पेशा- चयन की स्वतंत्रता का गला घोंट देती है।
श्रम विभाजन की दृष्टि से भी जाति प्रथा दोषपूर्ण है। यह मनुष्य की इच्छा पर निर्भर नहीं है। मनुष्य की व्यक्तिगत भावना तथा व्यक्तिगत रुचि का इसमें कोई स्थान या महत्त्व नहीं रहता।
आर्थिक पहलू से भी जाति प्रथा हानिकारक है, क्योंकि लोग रुचि के साथ काम नहीं करते। मजबूरीवश काम करते हैं। यह प्रथा मनुष्य की स्वाभाविक प्रेरणारुचि व आत्मशक्ति को दबाकर उन्हें अस्वाभाविक नियमों में जकड़कर निष्क्रिय बना देती है।
(iii) लेखक भीमराव अंबेदकर ने ‘ श्रम विभाजन और जाति प्रथा’ शीर्षक निबंध में श्रम विभाजन के नाम पर भारतवर्ष में जारी जाति प्रथा की कटु आलोचना की है। जातिवादी प्रथा के समर्थक ‘कार्य कुशलता’ के श्रम विभाजन को आवश्यक मानते हैं। लेकिन, जाति प्रथा श्रमिकों का ऊँच-नीच में जो विभाजन कर देती है ” यह अंबेदकर निन्दनीय मानते हैं। उनकी नजर में यह विभाजन अस्वाभाविक है। विश्व के किसी भी समाज में ऐसा नहीं पाया जाता है। यह भारत में दूषित सिद्धांत हो गया है। यह एक पेशे में ही एक जाति को बाँध देती है। यह भी गलत है। पेशा बदलने की छूट सभी को होनी चाहिए। जाति प्रथा से बेरोजगारी फैल रही है। समाज स्वतंत्रता पूर्ण, समता पूर्ण और भ्रातृत्व पूर्ण नहीं बन पाता।
प्रश्न:-
1. सेन साहब, मदन काशू और गिरधर का चरित्र-चित्रण करें।
2. विष के दांत कहानी का सारांश लिखें।
3. खोवा की मामलों में अपवाद था।
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उत्तर:-
(I) आचार्य नलिन विलोचन शर्मा की कहानी है—’ विष के दाँत’। शर्मा जी की यह अत्यंत सशक्त और प्रभावशाली कहानी है। “यह कहानी मध्यवर्ग के अनेक अंतर्विरोधों को उजागर करती है।
कहानी का जैसा ठोस सामाजिक संदर्भ है, वैसा ही स्पष्ट मनोवैज्ञानिक आशय भी। आर्थिक कारणों से मध्यवर्ग के भीतर ही एक ओर सैन साहब जैसों की एक श्रेणी उभरती है जो अपनी महत्त्वाकांक्षा और सफेदपोशी के भीतर लिंग-भेद कुसंस्कार छिपाये हुए हैं तो दूसरी ओर गिरधर जैसे नौकरी पेशा निम्न मध्यवर्गीय व्यक्ति की श्रेणी है जो अनेक तरह की थोपी गयी बंदिशों के बीच भी अपने अस्तित्व को बहादुरी एवं साहस के साथ बचाये रखने के लिए संघर्षरत है।
सेन साहब अमीर वर्ग के प्रतिनिधि हैं। वे कार रखते हैं। वे बेटे-बेटियों का पालन-पोषण रईसी के साथ करते हैं। गरीबों के प्रति उनकी संवेदनशीलता शून्य है। वे विष के दाँत रखने वाले काशू के पिता हैं।
मदन इस कहानी का नायक है। वह खोखा की पिटाई कर देता है। वह खोखा के विष के दाँत तोड़ डालता है। इसका उसे जुर्माना भी सहना पड़ता है। झोपड़ी खाली करनी पड़ती है। पिता की नौकरी छूट जाती है। फिर भी नायक मदन को, उसके पिता गिरधर को इसकी परवाह नहीं है।
काश सेन साहब का बेटा है। वह टेढ़िया है। वह मदन से भिड़ जाता है। लेकिन • उसे पिटाई खाना पड़ता है। वह पढ़ता-लिखता नहीं है। उसे ठोकाई सहनी पड़ती है। वह अमीर घर का प्रतिनिधि खलनायक है। नायकत्व प्राप्त करने की क्षमता उसमें नहीं है। गिरधर कहानी के नायक मदन का पिता है। वह सेन के कारखाने में काम करता है। मालिक और कामगार के बेटों के बीच लड़ाई के कारण उसे नौकरी से हाथ धोना पड़ता है। झोपड़ी खाली करनी पड़ती है। पर वह सबकुछ सहता है और बेटे मदन के पीठ ठोकता है। वह बेटे को नायक बनाने में मदद करता है। अतः उसकाव्यक्तित्व धनात्मक है।
(ii) विष के दाँत’ कहानी के कहानीकार आचार्य नलिन विलोचन शर्मा यह कहानी मध्यवर्ग के अनेक अन्तर्विरोधों को प्रकाश में लाती है। कहानी का जैसा ठोस सामाजिक संदर्भ है, वैसा ही स्पष्ट मनोवैज्ञानिक आशय भी आर्थिक कारणों से मध्यवर्ग के भीतर ही एक ओर सेन साहब जैसों की एक श्रेणी उभरती है जो अपनी महत्त्वाकांक्षा और सफेदपोशी के भीतर लिंग भेद जैसे कुसंस्कार छिपाये हुए हैं तो दूसरी ओर गिरधर जैसे नौकरी पेशा निम्न मध्यवर्गीय व्यक्ति की श्रेणी है ज अनेक तरह की थोपी गयी बंदिशों के बीच भी अपने अस्तित्व को बहादुरी एवं साहस. के साथ बचाये रखने के लिए संघर्षरत है। यह कहानी सामाजिक भेदभाव, एक प्रथा बताया है। लिंग-भेद, आक्रामक स्वार्थ की छाया में पलते हुए प्यार-दुलार के कुपरिणामों को उभारती हुई सामाजिक समानता एवं मानवाधिकार की महत्त्वपूर्ण बानगी पेश करती है। यह कहानी महल और झोपड़ी वालों की लड़ाई पर प्रकाश डालती है। ऐसी वह मनुष्य की इच्छा पर लड़ाई अक्सर महलवाले ही जीतते हैं, पर उसी हालत में, जब दूसरे झोपड़ीवाले च का इसमें कोई स्थान उनकी मदद अपने ही खिलाफ करते हैं। मदन काशू पर टूट पड़ा था। यह लड़ाई हड्डी और मांस की, बँगले के पिल्ले और गली के कुत्ते की लड़ाई थी। पिता गिरधर ने काशू के दो-दो दाँत तोड़ने पर प्रसन्न हुआ।
(ii) यह कहानी ‘विष के दाँत’ मध्यवर्ग के अनेक अन्तर्विरोधों को उजागर करती है। आर्थिक कारणों से मध्यवर्ग के भीतर ही एक ओर सेन साहब जैसों की एक श्रेणी उभरती है जो अपनी महत्त्वाकांक्षा और सफेदपोशी के भीतर लिंग-भेद जैसे कुसंस्कार छिपाए हुए हैं। पाँच लड़कियों के बीच बेटा खोखा अपवाद था। कटु आलोचना की है। सेन साहब की मोटर को लड़कियों से कोई खास खतरा नहीं था। लेकिन खोखा -भाजन को आवश्यक भी तो है। खोखा जो एक ही है, सबसे छोटा है। खोखा नाउम्मीद बुढ़ापे की आँखों का तारा है यह नहीं कि मिसेज सेन अपना और बुढ़ापे का कोई ताल्लुक किसी हालत में मानने को तैयार हों और सेन साहब तो सचमुच बूढ़े नहीं लगते। लेकिन मानने लगने की बात छोड़िए। हकीकत तो यह है कि खोखा का आविर्भाव तब जाकर हुआ था, जब उसकी कोई उम्मीद दोनों को बाकी नहीं रह गयी थी। खोखा जीवन के नियम का अपवाद था और यह अस्वाभाविक नहीं था कि वह घर के नियमों का भी अपवाद हो। इस तरह मोटर को कोई खतरा हो सकता था तो खोखा से ही।